स्वाधिष्ठान चक्र (वं)
मूलाधार से 2 अंगुल ऊपर स्वाधिष्ठान चक्र स्थित है। सिंदूरी रंग का षट्दल कमल स्वाधिष्ठान का प्रतीक है, कमल के भीतर एक वृत्त है, जिसके नीचे अर्द्धचन्द्र है, जो जल तत्व का प्रतीक है एवं स्वर साधक जल तत्व यंत्र पर षट्कोण का अभ्यास करता है, परंतु रात्रि के समय अर्द्धचन्द्र पर दृष्टि केन्द्रित करने से फल प्राप्त होता है।
स्वाधिष्ठान चक्र अगर सुप्त हो: पौरुषग्रंथि (Prostate gland), वन्ध्यत्व (Infertility), Disorders related to Testis, Ovary and Uterus तथा मूत्रमार्ग (urinary/ urogenital tract) से सम्बंधित विकारों के होने की संभावना रहती है।


- चक्र का निवास : लिंग
- चक्र का दल : षट्दल
- चक्र का रंग : सिंदूरी
- चक्र का तत्त्व : जल
- चक्र का बीजाक्षर : वं
- चक्र कमल दलों के अक्षर : बं, भं, मं, यं, रं, लं
- चक्र का यंत्र : अर्द्धचन्द्राकार
- चक्र का गुण : रस
- चक्र के ध्यान का फल : ऐसे मनुष्य श्रेष्ठ योगी होते हैं, संयमी, तपस्वी, घोर ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले, श्रेष्ठ रचनाकार होते हैं। इस चक्र का ध्यान करने से अर्द्धरोग नष्ट हो जाता है।