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मूलाधार चक्र (लं)

मूलाधार चक्र ऊर्जा का निम्नतम चक्र कहलाता है। जो मेरुदण्ड के मूल में स्थित होता है। इसका प्रतीक लाल रंग का चार दलों वाला कमल होता है। इसके भीतर पीले रंग का वर्ग होता है जो एक वृत्त से घिरा होता है। स्वर ज्ञानी पृथ्वी तत्व का प्रतीक होता है। स्वर ज्ञानी पृथ्वी तत्व के यंत्र पर ध्यान द्वारा मूलाधार में निहित शक्ति को जाग्रत करता है।

मूलाधार चक्र अगर सुप्त हो: मनुष्यों में मूत्रमार्गगत विकार (disorder of urinary/ urogenital tract) वृक्कवस्तिरोग (kidney and bladder disorders) अश्मरी (calculus) रतिज रोग (Venereal diseases) मलाशय (Rectum) गुदामार्ग (Anal Canal) तथा नितम्ब तंत्रिका (Sciatic nerve) से सम्बंधित विकारों के होने की संभावना रहती है।