आज्ञा चक्र
आज्ञा चक्र मेरुदण्ड के ऊपरी उभार पर माथे पर दोनों भौंहों के बीच स्थित है। आज्ञा चक्र में ही इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना का विलय होता है। स्वर योगी आज्ञा चक्र को जाग्रत कर सूक्ष्म तत्त्वों एवं शुद्ध चेतना का अभ्यास करता है।
आज्ञा चक्र अगर सुप्त हो: अपस्मार (Epilepsy), मूर्च्छा (Delirium), पक्षाघात (Paralysis), अवसाद (Depression), स्मृतिनाश (Dementia) तथा मस्तिष्क से सम्बद्ध रोग हो जाते हैं।

- चक्र का निवास : भौंहों के बीच
- चक्र का दल : दो दल
- चक्र का रंग : श्वेत
- चक्र का तत्त्व : मनः तत्त्व
- चक्र कमल दलों के अक्षर : हं, क्षं
- चक्र का बीजाक्षर : ओम्
- चक्र का यंत्र : लिंगाकार
- चक्र के ध्यान का फल : वाणी की सिद्धि हो जाती है।