अनाहत चक्र (यं)
अनाहत चक्र मेरुदण्ड में हृदय के पीछे स्थित चौथा महत्वपूर्ण चक्र है, इससे हमारे हृदय क्षेत्र में निरंतर अनाहत ध्वनि उत्पन्न होती है। हल्के नीले रंग का द्वादश दल कमल अनाहत का प्रतीक है। स्वर योगी इस पर त्राटक द्वारा वायु तत्त्व को सिद्ध करता है।
अनाहत चक्र अगर सुप्त हो: रक्तचाप (blood pressure), हृदय सम्बन्धी विकार (Cardiac disorders), वक्षोगत अपगति (Thoracic disorders), ग्रासनालिका (Esophagus) तथा श्वास से सम्बंधित विकार जैसे अस्थमा और Lung infection आदि हो जाते हैं।


- चक्र का निवास : हृदय प्रदेश
- चक्र का दल : 12
- चक्र का रंग : हल्का नीला रंग
- चक्र का तत्त्व : वायु
- चक्र कमल दलों के अक्षर : कं, खं, गं, घं, चं, छं, जं, झं, टं, ठं
- चक्र का बीजाक्षर : यं
- चक्र का यंत्र : षट्कोणाकार
- चक्र का गुण : स्पर्श
- चक्र के ध्यान का फल : चक्र का ध्यान करने वाला मनुष्य योगीश्वर होता है। इसके ध्यान से मनुष्य विषय प्राप्त करने में सक्षम होता है। दुसरे के शरीर में प्रवेश करने की क्षमता प्राप्त होती है।