मणिपुर चक्र (रं)
नाभि के पीछे मेरुदण्ड में मणिपुर चक्र स्थित होता है। इसका सम्बन्ध भोजन के पाचन, आत्मीकरण और प्राण ऊर्जा से है। मणिपुर चक्र प्राण ऊर्जा का भण्डार होता है। लक्ष्मी की अवधारणा मणिपुर को सक्रिय बनाने तथा प्राण और चेतना को इसके तल पर तरंगित करने का प्रतीक होती है।
मणिपुर चक्र अगर सुप्त हो: अग्न्याशय (Pancreas), प्लीहा, यकृत (Liver), वृक्क (Kidney), छोटी आंत (small intestine), आंत्रपुच्छ (Appendix), पित्ताशय (Gall bladder), पाचन तंत्र सम्बन्धी विकार (Digestive System), संग्रहणी (Colitis) एवं मधुमेह (Diabetes) आदि रोग होने की संभावना रहती है।


- चक्र का निवास : योनि अथवा लिंग
- चक्र का दल : चतुर्दल
- चक्र का रंग : रक्त
- चक्र का तत्त्व : पृथ्वी
- चक्र का बीज अक्षर : लं
- चक्र कमल दलों के अक्षर : वं, शं, षं, सं
- चक्र का यंत्र : चतुरस्रकोण
- चक्र का गुण : घ्राण
- चक्र के ध्यान का फल : काव्य शक्ति में प्रवीण, अच्छे वक्ता बनने में दक्ष, सर्व विद्याओं का ज्ञाता, आरोग्यता, आनन्द