सहस्रार चक्र
यह एक हजार पंखुड़ियों वाला चक्र होता है। यह विशुद्ध चेतना का अधिष्ठान होता है।
सहस्रार चक्र अगर सुप्त हो: तनाव (stress), अवसाद (depression), उन्माद (mania) आदि मानसिक रोगों (साइकोलोजिकल disorders) व भावनात्मक संवेगों (Emotional impulses) तथा नकारात्मक विचारों (Negative thoughts) में वृद्धि हो जाती है।


- चक्र का निवास : मस्तक
- चक्र का दल : षट्दल
- चक्र का लोक : सत्य
- चक्र का तत्त्व : तत्त्वअतीत
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चक्र कमल दलों के अक्षर : अं से क्षं तक
- चक्र का यंत्र : पूर्ण चंद्राकार
- चक्र के अधिष्ठाता : परब्रह्म
- चक्र की देव शक्ति : महाशक्ति
- चक्र के ध्यान का फल : ऐसा साधक अमरत्व को प्राप्त होता है। आकाशगामी विद्या सिद्ध हो जाती है। समाधि मरण होता है।